हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण भाग है उपसर्ग और प्रत्यय का। जिसके होने से किसी भी शब्द और वाक्य की संरचना बदल जाती है और साथ ही उसकी खूबसूरती भी बढ़ जा है। आज इस लेख में हम आप को इन्हीं में से एक – उपसर्ग (Upsarg) के बारे में जानकारी देंगे। आज आप इस लेख में जानेंगे कि उपसर्ग क्या होता है ? उपसर्ग के कितने भेद होते हैं? आदि ऐसे ही सभी अनेक संबंधित जानकारियां आप को इस लेख में मिल जाएंगी। जानने के लिए आप इस लेख को पूरा पढ़ें।
उपसर्ग क्या होता है ?
उपसर्ग वो शब्द या शब्दांश होते हैं जो किसी अन्य शब्द के आगे लगकर एक नए शब्द का निर्माण कर सकते हैं। उपसर्ग शब्द उप और सर्ग के मेल से बनता है। उपसर्ग में ‘सर्ग’ मूल शब्द है और इसका अर्थ होता है सृष्टि करना। इसके आगे लगने वाले शब्द उप का अर्थ होता है समीप / निकट। यानी किसी शब्द या अव्यय के मूल शब्द के आगे जुड़ने से नए शब्द का निर्माण या सृष्टि करना।
उपसर्ग की परिभाषा : ‘उपसर्ग वो वे शब्दांश या अव्यय हैं, जो शब्द के आरम्भ में जुड़कर उसके मूल अर्थ में विशेषता या बदलाव ला देते हैं।’
दूसरे शब्दों में – उपसर्ग ऐसे शब्दांश होते हैं जो किसी शब्द के पहले जुड़ कर उसके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं या फिर उस शब्द के अर्थ में विशेषता लाते हैं।
उदाहरण के तौर पर आप निम्नलिखित शब्दों को देखें :-
- मान : अभि + मान = अभिमान
- चार : प्र+ चार = प्रचार
- हार : प्र + हार = प्रहार
- बल : निः + बल = निर्बल
- पूत : स + पूत = सपूत
- हार : वि + हार = विहार
- हार : आ + हार = आहार
- कुमार : सु + कुमार = सुकुमार
यहाँ आप पहले उदाहरण देखें – मान शब्द में अभि उपसर्ग जोड़कर इसका अर्थ बदला जाता है। जैसे मान का अर्थ होता है – सम्मान जबकि अभि उपसर्ग के जुड़ते ही इसका अर्थ बदलकर अभिमान हो जाता है यानी घमंड हो जाता है।
उपसर्ग की गतियाँ या विशेषताएं
उपसर्ग की मुख्य तीन गतियाँ या विशेषताएं होती हैं, जो कि निम्नलिखित हैं :-
- शब्द के अर्थ में नई विशेषता लाना : जब किसी प्रत्यय से जुडने में किसी शब्द में विशेषता आ जाए, जैसे –
- प्र + बल = प्रबल
- अनु + शासन = अनुशासन
- शब्द के अर्थ को उलट देना : जब किसी शब्द में उपसर्ग के जुड़ने से उसके अर्थ में ही परिवर्तन हो जाए या मूल शब्द का अर्थ ही उलट जाये। जैसे –
- अप + यश = अपयश
- अ + सत्य = असत्य
- शब्द के अर्थ में कुछ खास परिवर्तन न करके मूलार्थ के इर्द -गिर्द अर्थ प्रदान करना: ऐसे उपसर्ग जो किसी शब्द के आगे जुड़ने पर मूल शब्द के अर्थ से संबंधित ही कोई अर्थ दें। जैसे –
- वि + शुद्ध = विशुद्ध
- परि + पूर्ण = परिपूर्ण
उपसर्ग के भेद या प्रकार
हिंदी भाषा में तीन प्रकार के उपसर्गों का प्रयोग किया जाता है।
- संस्कृत के उपसर्ग
- हिंदी के उपसर्ग
- विदेशज उपसर्ग (अरबी फ़ारसी, अंग्रेजी के उपसर्ग)
संस्कृत के उपसर्ग (तत्सम उपसर्ग)
संस्कृत भाषा से आने वाले शब्दांश जिनका हिंदी भाषा में उपसर्ग की तरह प्रयोग होता है। इन्हे ही तत्सम उपसर्ग कहते हैं। इसके कुछ उदाहरण आप निम्नलिखित देख सकते हैं।
उपसर्ग | अर्थ | शब्दरूप |
अप | लघुता, हीनता, दूर, हीनता, ले जाना, | अपमान, अपयश, अपकार |
अभि | पास, सामने, ओर | अभिलाषा, अभिनेता, अभिमान, अभिव्यक्त, अभिशाप |
अव | पतन, विशेषता, बुरा, हीनता, अनादर, | अवनति, अवगुण, अवशेष, अवकाश, अवतार, |
अनु | समान, पीछे, निम्न, सामान, क्रम | अनुशासन, अनुरूप, अनुवाद, अनुज, अनुभव, अनुचर, अनुकरण |
अति | अधिक | अत्यधिक, अत्युत्तम, अत्यंत |
अन | अभाव, कमी होना | अनादि, अनंत, अनेक, अनिच्छा, अनचाहा |
उद् | ऊपर, उत्कर्ष | उद्धार, उद्भव, उद्देश्य, उद्घाटन, उद्घोष |
निर | निषेध, रहित, बिना, बाहर | निर्बल,निर्जन, निर्भय, निराकार निरपराध, निर्दोष |
निस | रहित, पूरा, विपरीत | निस्तार, निस्सार, निस्तेज |
प्र | अधिक, उत्कर्ष, गति, यश, उत्पत्ति | प्रबल, प्रताप, प्रक्रिया |
परा | उल्टा, अनादर, नाश, विपरीत, पीछे | पराजय, पराभाव, पराधीन, पराक्रम, परस्त, परामर्श |
वि | विशेष, अलग, अभाव | विहीन, विज्ञान, विमाता, विनय, विभाग, विशेष, विदेश |
सम् | अच्छा, पूर्णता, सुंदर, साथ | संयोग, संवाद, सम्मान, संतोष, संविधान, संयम, संशय |
हिंदी के उपसर्ग (तद्भव उपसर्ग)
हिंदी भाषा के उपसर्गों को ही तद्भव उपसर्ग कहते हैं। निम्नलिखित कुछ तद्भव उपसर्गों के उदाहरण दिए गए हैं –
उपसर्ग | अर्थ | शब्दरूप |
औ/अव | हीनता, रहित | औघट, अवनति, अवगुण, अवतार |
अन् / अ | अभाव, नहीं | अनजान, अनपढ़, अनादि, अनुपस्थित, अनमोल, अटल , अमर |
अध | आधा | अधपका, अधमरा, अधखिला |
कु | बुरा | कुसंगति, कुपथ, कुकर्म, कुचाल, कुमति, कुरूप, कुचक्र |
सु / स | सुंदर, अच्छा / सहित | सुगंध, सुवास, सुजान, सुघड़, सुपुत्र सकल , सजग, सपूत, सुजान, सुफल |
पर | दूसरा, दूसरी पीढ़ी | परोपकार, परस्त्री, परपुरुष, परलोक, परदादी, परनानी, परपिता |
भर | पूरा | भरपेट, भरपूर, भरसक |
अध | आधा | अधखिला, अधजला, अधकचरा |
ति | तीन | तिगुना, तिपाई, तिराहा, तिपहिया |
चौ | चार | चौराहा, चौगुना, चौमासा, चौतरफा, चौमुखी |
नि | बिना, रहित | निहत्था, निहाल, निपट, निठल्ला |
बिन | कमी होना , न होना , रहित | बिनबात , बिन बोले, बिनब्याह |
3. विदेशज (उर्दू -फ़ारसी आदि) उपसर्ग / आगत उपसर्ग
हिंदी में विदेशी भाषा जैसे की उर्दू, फ़ारसी, अंग्रेजी आदि के शब्द जो उपसर्ग के तौर पर इस्तेमाल किये जाते हैं। जिनके प्रयोग से हिंदी में नए शब्दों की रचना की जाती हो। उन्हें ही विदेशी उपसर्ग अथवा विदेशज कहा जाता है।
उपसर्ग | अर्थ | शब्दरूप |
ऐन | ठीक, सही | ऐनवक्त , ऐन मौका |
बे | बुरा, अभाव | बेवफा, बेदाग़, बेहोश, बेसमझ, बेईमान, बेशर्म, बेक़सूर |
बा | साथ, सहित | बाइज़्ज़त, बावजूद, बाअदब |
बद | बुरा | बदनाम, बदसूरत, बदबू |
बिला | बिना, बगैर | बिलावजह, बिलाकसूर |
ना | नहीं, अभाव | नाकाम, नादान, नाबालिग़, नालायक, नापसंद |
कम | थोड़ा, हीन, भाव | कम अक्ल, कमबख्त, कमज़ोर, कमकीमत, कमखर्च |
खुश | अच्छा | खुशकिस्मत, खुशखबरी, खुशबू, खुशमिज़ाज, खुशहाल |
हर | सभी, प्रत्येक | हरएक, हरतरफ, हररोज़, हरसाल, हरदिन, हरपल, हरचीज़, हरदिल |
दर | में | दरमियान, दरगुज़र, दरकिनार |
सर | मुखय, प्रमुख | सरहद, सरकार, सरपंथ, सरताज, सरमाया, सरदार |
गैर | रहित, बिना | गैरजिम्मेदार, गैरसरकारी, गैरजरूरी, गैरमुल्क, गैरमर्द। |
अंग्रेजी भाषा के उपसर्ग
अंग्रेजी भाषा से लिए गए वो शब्द या शब्दांश जिन्हे उपसर्ग के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। निम्नलिखित कुछ उदाहरण दिए जा रहे हैं।
उपसर्ग | अर्थ | शब्दरूप |
सब | उप | सब-इंचार्ज , सब इंस्पेक्टर |
हैड | मुख्य | हैड मास्टर , हैड इंचार्ज , हैड बॉय , हेड गर्ल |
चीफ | मुख्य | चीफ मिनिस्टर , चीफ सेक्रेटरी |
उपसर्ग से संबंधित प्रश्न उत्तर
उपसर्ग ऐसे शब्दांश होते हैं जो किसी शब्द के पूर्व में जुड़ कर उसके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं। या फिर उस शब्द के अर्थ में विशेषता लाते हैं। आप इसे ऐसे भी समझ सकते हैं – उप अर्थात समीप + सर्ग यानी सृष्टि करना। जिस का पूरा अर्थ है – किसी शब्द के साथ आ कर नया शब्द बनाना। उदाहरण से समझिये – प्र + हार = प्रहार, ‘हार’ शब्द का अर्थ है पराजय।
उपसर्ग के निम्नलिखित भेद होते हैं।
1 – संस्कृत के उपसर्ग
2 -हिन्दी के उपसर्ग
3 -उर्दू और फ़ारसी के उपसर्ग
4 -अंग्रेज़ी के उपसर्ग
5 -उपसर्ग के समान प्रयुक्त होने वाले संस्कृत के अव्यय।
ऐसे पहचान सकते हैं उपसर्ग को – उपसर्ग शब्द के शुरू में जुड़ता है। उपसर्ग जुड़ने पर मूल शब्द का अर्थ बदल सकता है। जैसे कि यदि हार शब्द में प्र उपसर्ग जोड़ा जाए तो ये प्रहार बन जाता है। प्र + हार = प्रहार।
दिन शब्द में आप ‘प्रति’ या ‘नित’ उपसर्ग जोड़ कर प्रतिदिन और नितदिन जैसा शब्द बना सकते हैं।
स्वतंत्र शब्द स्व उपसर्ग को जोड़ने से बना है।
आज इस लेख में आप ने Upsarg / उपसर्ग के भेद, अर्थ एवं उदाहरण आदि से संबंधित सभी जानकारी पढ़ी है। उम्मीद है आपको ये जानकारी पसंद आयी होगी। ऐसी ही अन्य जानकारियों को पढ़ने के लिए आप हमारी वेबसाइट Hindi NVSHQ से जुड़ सकते हैं।