संबंधबोधक अव्यय – ऐसे शब्द जो किसी वाक्य में संज्ञा या सर्वनाम के पहले लगकर वाक्य के अन्य शब्दों के साथ संबंध बताते हैं, उन्हें संबंधबोधक अव्यय कहते है। इस अव्यय का प्रयोग संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के माध्य होता है। अर्थात दो संज्ञा या सर्वनाम पदों को जोड़ने के लिए Sambandhbodhak Avyay सहायक सिद्ध होता है। तो आइए जानते है संबंधबोधक अव्यय किसे कहते है, परिभाषा एवं भेदों के प्रकार कितने होते है। आर्टिकल से जुड़ी सभी जानकारी को प्राप्त करने के लिए हमारे लेख को अंत तक पढे।
संबंधबोधक अव्यय की परिभाषा
जो शब्द वाक्य में किसी संज्ञा या सर्वनाम का संबंध अन्य शब्दों के साथ प्रकट करते हैं, तो उन्हें संबंधबोधक अव्यय कहते हैं जैसे – के पीछे, के पास, से दूर, के कारण, के लिए, की ओर, की जगह, के अनुसार, के आगे, के साथ, के सामने इत्यादि। क्या आप जानते हो सर्वनाम किसे कहते हैं और इसके कितने भेद होते है ?
उदाहरण –
- उस पहाड़ के पीछे मेरा गांव है।
- इस घर के कारण मेरे घर में धूप नही आती है।
- मंदिर जाने के लिए बाई दिशा की ओर जाएं।
- मुझे इस शहर से दूर जाना है।
संबंधबोधक अव्यय के भेद
संबंधबोधक अव्यय के बारह भेद होते है –
- कालवाचक संबंधबोधक
- स्थानवाचक संबंधबोधक
- दिशाबोधक संबंधबोधक
- साधनवाचक संबंधबोधक
- विरोधसूचक संबंधबोधक
- समतासूचक संबंधबोधक
- हेतुवाचक संबंधबोधक
- सहचरसूचक संबंधबोधक
- विषयवाचक संबंधबोधक
- संग्रवाचक संबंधबोधक
- कारणवाचक संबंधबोधक
- सीमावाचक संबंधबोधक
1) कालवाचक संबंधबोधक
वे शब्द जिनसे हमे समय का बोध होते है उसे कालवाचक संबंधबोधक कहते है। जैसे – पहले, बाद, आगे, पीछे, उपरांत आदि।
2) स्थानवाचक संबंधबोधक
ऐसे शब्द जिनसे हमें किसी स्थान का बोध होता है, तो उसे स्थानवाचक संबंधबोधक कहते है। जिसे – सामने, नजदीक, यहाँ, बीच, बाहर, परे, दूर,आगे, पीछे, नीचे आदि।
3) दिशाबोधक संबंधबोधक
ऐसे शब्द जिनसे हमें किसी दिशा का बोध हो, तो उसे दिशाबोधक संबंधबोधक कहते हैं। जैसे – ओर, तरफ, पार, प्रति, आरपार, आसपास आदि।
4) साधनवाचक संबंधबोधक
जिन शब्दों से हमें किसी साधन का बोध हो, तो उसे साधनवाचक संबंधबोधक कहते है। जैसे – द्वारा, जरिए, हाथ, बल, कर, माध्यम, सहारे आदि।
5) विरोधसूचक संबंधबोधक
जिन शब्दों से विरोध का बोध होता हैं, उसे विरोधसूचक संबंधबोधक कहते है जैसे – विरुद्ध, खिलाफ, उलटे, विपरीत आदि।
6) समतासूचक संबंधबोधक
वे शब्द जिनसे हमें किसी समानता का बोध होता है, उन्हें समतासूचक संबंधबोधक कहते है। जैसे – समान, तरह, भाँति, देखादेखी, ऐसा, जैसा, मुताबिक आदि।
7) हेतुवाचक संबंधबोधक
जिन वाक्यों के अंतर्गत लिए, हेतु, खातिर, कारण, रहित, अथवा, सिवा, अतिरिक्त आदि शब्द आते हैं, उन्हें हेतुवाचक संबंधबोधक कहते है।
8) सहचरसूचक संबंधबोधक
जिस वाक्यों में संग, साथ, समेत, सहित, पूर्वक, अधीन आदि शब्दों का उपयोग होता है वहां पर सहचरसूचक संबंधबोधक होता हैं।
9) विषयवाचक संबंधबोधक
जहां पर लेख, विषय का बोध हो, वह विषयवाचक संबंधबोधक होते हैं।
10) संग्रवाचक संबंधबोधक
जिन वाक्यों में समेत, तक, पर्यन्त, भर, मात्र आदि शब्द आते हैं, वह संग्रवाचक संबंधबोधक होते है।
11) कारणवाचक संबंधबोधक
जिन शब्दों से किसी कारण का बोध होता हैं वह कारणवाचक संबंधबोधक होते है। जैसे – हेतु, वास्ते, निमित्त, खातिर आदि।
12) सीमावाचक संबंधबोधक
जिस शब्दों के द्वारा हमें किसी सीमा का बोध होता है, तो उन्हें सीमावाचक संबंधबोधक कहते है।
Sambandhbodhak Avyay से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल FAQs-
संबंधबोधक अव्यय किसे कहते हैं ?
जो अव्यय शब्द वाक्य में किसी संज्ञा या सर्वनाम का सम्बन्ध अन्य शब्दों के साथ बताते हैं उन्हें संबंधबोधक अव्यय कहते है। जैसे – दूर, पास, अंदर, बाहर, आगे, पीछे, ऊपर, नीचे, बिना आदि।
संबंधबोधक अव्यय के उदाहरण बताइए ?
मेरे घर के पीछे एक स्कूल बन रहा है, पेड़ के ऊपर पक्षी बैठी हुई है, अध्यापिका स्कूल के भीतर है। इन सभी शब्दों में के पीछे, के ऊपर, के भीतर आदि शब्द का उपयोग होने से वाक्य के अन्य शब्दों का संबंध पता चल रहा हैं।
संबंधबोधक अव्यय के कितने भेद होते हैं ?
संबंधबोधक अव्यय के बारह (12) भेद होते हैं।
Not bad
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