पूर्णिमा कब है:- नमस्कार दोस्तों, दोस्तों जैसा की आप जानते हैं की हिन्दू धर्म में व्रत एवं त्यौहार के लिए पूर्णिमा और अमावस की तिथियों का बड़ा महत्व है। हम जानते हैं चाँद अपनी 16 कलाओं के अनुसार अपना स्वरूप बदलता रहता है। चाहे हम बात करें अंग्रेजी महीनों की या हिंदी महीनों की साल एक महीने में 30 दिन होते हैं और 30 दिनों को चाँद की कलाओं के अनुसार दो पक्षों में बांटा गया है। हिन्दी पंचांग के अनुसार साल के हर एक महीने को चाँद की स्थिति के अनुसार दो पक्षों में बांटा गया है। आपको बता दें की जब चाँद बढ़ती हुई स्थिति में होता है उसे शुक्ल पक्ष कहा जाता है और जब चाँद अपनी घटने की स्थिति में होता है उसे कृष्ण पक्ष कहा जाता है।
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लेकिन जब आकाश में चाँद अपनी कला लेते हुए पूर्ण रूप में होता है उस दिन या तिथि को पूर्णिमा कहा जाता है तथा जब चाँद आकाश में दिखाई नहीं देता और आकाश पूर्णतः काला दिखाई दे रहा हो तो वह दिन अमावस्या का होता है। लोगों का मानना है की पूर्णिमा वाले दिन नदी में स्नान, अर्घ्य देना, व्रत करना, पूजा करना आदि सब करने से जीवन में समृद्धि आती है और पुण्य कर्मों का फल मिलता है।
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लेकिन दोस्तों हिन्दू धर्म में साल में आने वाली हर एक पूर्णिमा तिथि का अपना ही एक धार्मिक महत्त्व होता है। आज के आर्टिकल में हम आपको इन्हीं तिथियों से संबंधित धार्मिक महत्त्व, त्यौहार एवं व्रत से संबंधित जानकारी प्रदान करने वाले हैं। आइये जानते हैं इन तिथियों के धार्मिक महत्वों को।
साल 2023 की जनवरी से लेकर दिसंबर तक की पूर्णिमा की तिथियां एवं त्यौहार और व्रत की लिस्ट: पूर्णिमा कब है
दोस्तों यहां हमने आपको एक टेबल के माध्यम से बताया है वर्ष 2023 के किस तिथि और किस दिन पूर्णिमा होगी। इसके साथ ही आप पूर्णिमा से संबंधित हिंदी महीने और जयंती, त्यौहार एवं व्रत की जानकारी भी ले सकते हैं।
तिथि (Date) | दिन (Day) | पूर्णिमा से संबंधित हिंदी महीने | त्यौहार , जयंती एवं व्रत |
6 जनवरी 2023 | शुक्रवार | पौष पूर्णिमा | शाकुम्भरी पूर्णिमा पौष पूर्णिमा व्रत |
5 फरवरी 2023 | रविवार | माघ पूर्णिमा | गुरु रविदास जयंती मासी मागम ललिता जयंती माघ पूर्णिमा व्रत |
मार्च 7, 2023 | मंगलवार | फाल्गुन पूर्णिमा | छोटी होली होलिका दहन फाल्गुन चौमासी चौदस फाल्गुन पूर्णिमा व्रत |
5 अप्रैल 2023 | बुधवार | चैत्र पूर्णिमा | हनुमान जयंती चित्रा पूर्णानमी चैत्र नवपद ओली पूर्ण चैत्र पूर्णिमा व्रत स्वारोचिष मन्वादि |
5 मई, 2023 | शुक्रवार | वैशाख पूर्णिमा | कूर्म जयंती वृषभ संक्रांति बैशाख पूर्णिमा व्रत |
जून 3, 2023 | शनिवार | ज्येष्ठ पूर्णिमा | वट पूर्णिमा व्रत कबीरदास जयंती ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत वैवस्वत मन्वादि |
03 जुलाई 2023 | सोमवार | आषाढ़ पूर्णिमा | कोकिला व्रत गुरु पूर्णिमा व्यास पूजा गौरी व्रत समाप्त आषाढ़ अष्टिहिंका विधान पूर्ण आषाढ़ पूर्णिमा व्रत चाक्षुष मन्वादि |
30 अगस्त 2023 | बुधवार | श्रावण पूर्णिमा | रक्षा बंधन यजुर्वेद उपाकर्म हयग्रीव जयंती श्रावण पूर्णिमा व्रत |
29 सितम्बर 2023 | शुक्रवार | भाद्रपद पूर्णिमा | पूर्णिमा श्राद्ध पितृ पक्ष प्रारम्भ प्रतिपदा श्राद्ध भाद्रपद पूर्णिमा व्रत |
28 अक्टूबर 2023 | शनिवार | आश्विन पूर्णिमा | कोजागर पूजा शरद पूर्णिमा वाल्मीकि जयंती मीराबाई जयंती अश्विनी नवपद ओली पूर्ण आश्विन पूर्णिमा व्रत |
27 नवम्बर 2023 | सोमवार | कार्तिक पूर्णिमा | भीष्म पंचक समाप्त गुरु नानक जयंती पुष्कर स्नान चंद्र ग्रहण पूर्ण कार्तिक अष्टिहिंका विधान पूर्ण कार्तिक रथ यात्रा कार्तिक पूर्णिमा व्रत उत्तम मन्वादि |
26 दिसम्बर 2023 | मंगलवार | मार्गशीर्ष पूर्णिमा | दत्रातेय जयंती मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत |
जानें पूर्णिमा का धार्मिक महत्त्व :
हिन्दू धर्म में पुरे साल आने वाली अलग-अलग पूर्णिमा तिथियों का अलग-अलग धार्मिक महत्व है। आगे आर्टिकल में हमने आपको विभिन्न पूर्णिमा तिथियों के धार्मिक महत्व के बारे में बताया है।
श्रावण पूर्णिमा 2023:
दोस्तों जैसा की आप जानते हैं हिन्दुओं में सावन महीने को बड़ा ही पवित्र माना यह पूरा भगवान शिव को समर्पित होता है। हिंदी महीने श्रावण को सावन महीने के रूप में जाना जाता है। श्रावण महीने में शिवालय मंदिरों को जाने के लिए लोगों द्वारा पैदल कांवड़ यात्राएं की जाती हैं। इस यात्रा में शामिल होने वाले शिव भक्त को सिर्फ फलाहार और सात्विक भोजन करना होता है। सावन के महीने में लोग शिवालय मंदिरों में जाकर भगवान शिव को प्रसन्न के लिए जल एवं दुध चढ़ाते हैं। और इसी महीने भाई -बहन का पवित्र त्यौहार रक्षा बंधन भी मनाया जाता है। साल 2022 में रक्षा बंधन गुरुवार 11 अगस्त को था।
आश्विन या शरद पूर्णिमा 2023
आपको बताते चलें आश्विन पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है की इस दिन चाँद अपनी 16 कलाओं को पूर्ण कर लेता है। लोग मानते हैं आकाश में चाँद पूरा होने पर पृथ्वी पर अमृत वर्षा होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार लोग इस दिन व्रत एवं पूजा पाठ करते हैं और रात के समय प्रसाद के रूप में खीर-पूरी बनाकर खुले आसमान के नीचे रख देते हैं। इस दिन कोजागर पूजा होने के कारण आश्विन पूर्णिमा को कोजागर पूर्णिमा भी कहा जाता है। कोजागर पूजा के बारे में धार्मिक मान्यता यह है की इस दिन देवी लक्ष्मी रात के समय विचरण करती हैं और माता का जिसके भी घर आगमन होता है उस पर देवी लक्ष्मी की कृपा बरसती है वह व्यक्ति धन-वैभव का सुख भोगता है। साल 2023 में आश्विन पूर्णिमा 28 अक्टूबर को है।
कार्तिक पूर्णिमा 2023:
हिन्दू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का अपना एक धार्मिक महत्व है। हिन्दू धर्म को मानने वाले लोग इस दिन को देव दीपावली के रूप में मनाते हैं। एक धार्मिक प्राचीन कथा के अनुसार भगवान शिव ने इस दिन त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध करके राक्षस के अत्याचारों से पीड़ित पृथ्वी वासियों को बचाया था। लोगों का मानना है की कार्तिक पूर्णिमा की रात स्वर्ग से सभी देवी देवता भगवान शिव की पूजा करने बनारस के काशी तट गंगा घाट पर आते हैं। कार्तिक पूर्णिमा को काशी के गंगा घाट पर विशेष पूजा आयोजन किया जाता है। जो कोई भी इस दिन गंगा के पावन जल में स्नान करता है उसे अक्षय पुण्य का फल प्राप्त होता है। साल 2023 में कार्तिक पूर्णिमा मंगलवार 27 नवम्बर को आएगी।
पूर्णिमा कब है से संबंधित FAQs
आपको बता दें की साल 2023 में आश्विन पूर्णिमा 28 अक्टूबर को है।
साल का पहला पूर्ण चंद्रग्रहण 05 मई 2023 को लगेगा।
जिस दिन चाँद आकाश में अपनी पूरी स्थिति में पूर्ण रूप से ज्यादा चमकदार और औसत से बड़ा दिखाई दे रहा हो उसे फुल मून कहा जाता है। फुल moon हमेशा पूर्णिमा की रात को देखने को मिलता है।
साल 2023 में दत्रात्रेय जयंती 26 दिसंबर को है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें की हिन्दू वर्ष कैलेंडर में हिंदी महीने के दिनों को चाँद की स्थिति के अनुसार दो पक्षों में बांटा गया है।
चाँद की बढ़ने की स्थिति शुक्ल पक्ष कहलाती है।
चाँद की घटने की स्थिति कृष्ण पक्ष कहलाती है।
वट पूर्णिमा व्रत हिन्दू धर्म में विवाहित महिलाओं के द्वारा किया जाने वाला व्रत है इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र और परिवार की आर्थिक समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। वट पूर्णिमा वाले दिन महिलाएं एक पवित्र धागा लेकर वट वृक्ष के चारों और बांधती हैं। पुरानी मान्यता है की सावित्री ने अपने पति सत्यवान को यमराज से बचाने के लिए इस वट पूर्णिमा व्रत को किया था।