30 जनवरी 1948 को अहिंसा के पुजारी Mahatma Gandhi (महात्मा गांधी) नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई। गोडसे जिस हिन्दू महासभा पार्टी के सदस्य थे उनका आरोप था की गाँधी पाकिस्तान के प्रति नरमी और मुसलमानों के लिए अपना समर्थन दिखाकर हिन्दुओं के साथ विश्वासघात कर रहे हैं जो की भारत के हित में नहीं है। इसी बात का बदला लेने के लिए नाथूराम गोडसे (Nathuram Godse) ने अपने अन्य छः साथियों के साथ मिलकर गांधी की हत्या की योजना बनाई। महात्मा गांधी पर यह भी आरोप था की भारत के विभाजन के समय होने वाली हिंसा और रक्तपात को गांधी रोक सकते थे परन्तु गांधी ने ऐसा नहीं किया।
गांधी की हत्या के एक साल तक चले ट्रायल कोर्ट के बाद नाथूराम गोडसे और उसके साथी नारायण आप्टे को फांसी की सजा सुना दी गई। लेकिन गोडसे के बाकी साथियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। नाथूराम गोडसे ने गांधी की हत्या क्यों की, गोडसे ने अपने अंतिम बयान में क्या कहा यह सब जानने के लिए आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।
कौन था नाथूराम गोडसे (Nathuram Godse):
पूरा नाम (Full Name) | नाथूराम विनायक राव गोडसे |
उपनाम (Nick Name) | “नाक-अंगूठी वाला राम” |
अन्य नाम (Other Name) | रामचंद्र एवं नाथूराम गोडसे |
जन्मतिथि (Date of Birth) | 19 मई 1910 |
उम्र (Age) | 39 वर्ष |
जन्म स्थान (Birth Place) | बारामती, जिला पुणे, बॉम्बे प्रेसीडेंसी, भारत |
राष्ट्रीयता (Nationality) | भारतीय |
धर्म (Religion) | हिन्दू |
जाति (Cast) | ब्राह्मण |
पेशा (Occupation) | सामजिक कार्यकर्ता |
संस्था (Organization) | राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ (RSS) एवं हिन्दू महासभा |
राशि (Zodiac) | वृषभ |
किताब (Book) | Why I Killed Gandhi |
मृत्यु | 15 नवम्बर 1949 |
मृत्यु का कारण | फांसी की सजा |
अपराध (Criminal Charge) | महात्मा गांधी की हत्या |
Nathuram Godse का परिवार (Family):
पिता जी का नाम (Father’s Name) | विनायक वामन राव गोडसे |
माता जी का नाम (Mother’s Name) | लक्ष्मी गोडसे |
भाई (Brother) | गोपाल गोडसे (छोटा भाई) |
भतीजी (Niece) | हिमानी सावरकर |
नाथूराम गोडसे का प्रारम्भिक जीवन (Earlier life):
- नाथूराम गोडसे का जन्म एक चितपावन ब्राह्मण मराठी परिवार में हुआ था। गोडसे के पिता का नाम विनायक वामनराव गोडसे था जो पोस्ट ऑफिस में एक डाक कर्मचारी के रूप में कार्यरत थे। गोडसे की मां का नाम लक्ष्मी गोडसे था जो एक गृहणी थीं।
- बचपन में गोडसे का नाम रामचंद्र रखा गया था नाथूराम नाम के पीछे गोडसे की अलग कहानी है।
- आपको बता दें की नाथूराम के जन्म से पहले गोडसे दंपत्ति की होने वाले संताने मृत्यु को प्राप्त हो गए थे जिसमें एक लड़की और तीन लड़के थे। गोडसे के माता-पिता को लगा की यह एक अभिशाप के कारण हुआ है।
- एक पंडित की सलाह पर बचपन में रामचंद्र गोडसे का लालन पालन एक लड़की के रूप में किया गया जिस कारण गोडसे की नाक भी छिदवा दी गई। अपनी इसी नाक छिदी होने के कारण गोडसे का नाम नाथूराम पड़ गया।
- गोडसे ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा बारामती के एक स्थानीय स्कूल से की जिसमें गोडसे ने पांचवी क्लास तक पढ़ाई की।
- इसके बाद गोडसे को आगे की पढ़ाई के लिए अपनी चाची के यहां जाना पड़ा। यहाँ गोडसे ने हाई स्कूल तक पढ़ाई की और हाई स्कूल में रहते ही आरएसएस को ज्वाइन कर आरएसएस के कार्यकर्ता सदस्य बन गए।
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नाथूराम गोडसे द्वारा गाँधी जी की हत्या:
- नाथूराम ने अपने एक बयान में बताया की गांधी की हत्या उसने और उसके साथियों ने दिल्ली रेलवे स्टेशन के वेटिंग रूम में रहकर ही सोची थी।
- बात 30 जनवरी 1948 की है महात्मा गांधी दिल्ली के बिड़ला हाउस में रुके हुए थे। गांधी जी का नियम था की वह हर शाम गांधी जी बिड़ला हाउस के लॉन में प्रार्थना सभा को सम्बोधित जाया करते थे।
- हर रोज शाम की तरह करीब 5 बजकर 15 मिनट पर बिड़ला हाउस के लॉन में प्रार्थना सभा को सम्बोधित करने जा रहे थे जिसके लिए गांधी जी को कुछ रास्ता पैदल तय करके जाना होता था।
- 30 जनवरी की होने वाली प्रार्थना सभा में एक व्यक्ति था गुरु बचन सिंह जिसने गांधी जी को रास्ते में रोकते हुए कहा की बापू आज सभा के लिए देर हो गई। बापू ने जवाब दिया की जो लोग देर करते हैं उन्हें सजा मिलती है इतना कहकर मुस्कराते हुए बापू आगे बढ़ गए।
- गांधी जी पैदल चलकर सभा की ओर जा रहे थे की तभी भीड़ से निकलकर नाथूराम गोडसे ने अपनी बन्दूक तानते हुए एक-एक कर तीन गोलियां गांधी जी की छाती पर दाग दीं। जिसके बाद गांधी जी के अंतिम शब्द हे राम ! कहते हुए जमीन पर बेसुध होकर गिर पड़े।
- गांधी जी को तुरंत ही बिड़ला हाउस के कमरे में ले जाया गया जहाँ कुछ देर के बाद गांधी जी की मृत्यु हो गई।
- यह देखकर सभा के सभी लोग दंग एवं स्तब्ध रह गए। उस दिन सभा में लगभग 150 से अधिक लोग मौजूद थे।
- इसके बाद सैन्य कर्मियों और पुलिस द्वारा गोडसे को पकड़ लिया गया। गोडसे इस बात पर आश्चर्यचकित था की मैंने अपनी योजना को बड़े ही आराम से अंजाम दे दिया।
नाथूराम गोडसे का अंतिम बयान:
गांधी जी की हत्या के बाद जब नाथूराम गोडसे पर हाई कोर्ट में चल रहे ट्रायल चल रहा था तो उस दौरान गोडसे ने लिखित रूप से 90 पेज का अपना अंतिम बयान कोर्ट में दर्ज करवाया था। हम आपको उसी बयान के कुछ मुख्य अंश और बिंदु सिलसिलेवार तरीके से बता रहे हैं-
- मेरे प्यारे भारत देश के वासियों देश के प्रति सम्मान और कर्तव्य कभी-कभी हमें अहिंसा के मार्ग को छोड़कर हिंसा ना चाहते हुए भी हिंसा के रास्ते पर चलने को मजबूर कर देता है। मैं यह कभी नहीं मान सकता की आक्रात्मकता का विरोध करना कभी भी अन्याय पूर्ण हो सकता है।
- देश वासियों मैं एक नैतिक कर्तव्य और धार्मिक मान्यताओं को मानने वाला इंसान हूँ। कांग्रेस मुसलमानों के सामने आत्मसमर्पण कर चुकी है जिस कारण मुसलमान अपनी मनमानी कर रहे थे। देश के ऐसे हालत के ऊपर निर्णय लेने की जिम्मेदारी महात्मा गांधी पर थी।
- लेकिन गांधी ने मुस्लिम पक्ष की तरफ अपना निर्णय सौम्य रखा और हिन्दू समाज इसकी कीमत चुकाई। जो कांग्रेस पार्टी हिन्दुओं की हित की बात करती है उसने भी चुपके एवं गुप्त रूप से जिन्ना की बात को मानते हुए पाकिस्तान की बात स्वीकार कर लिया।
- कांग्रेस ने मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति की और भारत के टुकड़े कर दिए। धर्म के आधार पर भारत के एक तिहाई टुकड़े को अलग देश बना दिया गया। यह फैसला आजादी के लिए लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान का अपमान है जो किसी भी हिन्दू भारतीय को सहन नहीं होगा।
- जब मुझे पता चला की कांग्रेस पार्टी के इस फैसले में गांधी जी की सहमति है तो मैं सोचने लगा की जिसे पूरा देश एक महात्मा के रूप में पूजता है वह ऐसा कैसे कर सकता है। यह सब सोचकर मेरा मन क्रोध से भर गया। मैं कहता हूँ गाँधी जी भारत की एकता और अखंडता को बचाये रखने में पूरी तरह असफल हुए हैं।
- इसलिए मुझे गाँधी पर गोली चलाने का कोई अपराध बोध नहीं है। मैं मानता हूँ की मैंने ऐसे व्यक्ति पर गोलियां चलाई जिनकी नीतियां और फैसले भारत के विनाश का कारण बन सकते थे। प्रिय देशवासियों इसलिए मैंने ऐसे घातक विकल्प को करने का प्रयास किया।
- देश वासियों से में अपने लिए माफी की उम्मींद नहीं रखता हूँ क्योंकि मुझे अपने द्वारा किये गए कार्य पर गर्व है। अदालत मेरे इस काम के लिए जो भी सजा देना चाहे वह पूर्ण रूप से मुझे स्वीकार होगी।
नाथूराम गोडसे के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य:
- नाथूराम गोडसे को जासूसी किताबें और काफी पीने का बहुत शौक था।
- फांसी वाले दिन गोडसे के एक हाथ में श्रीमद्भभगवदगीता, अखंड भारत का नक्शा और दूसरे हाथ में भगवा रंग का झंडा था।
- गोडसे ने सिर्फ हाई स्कूल तक की पढ़ाई पूरी करी थी और हाई स्कूल के समय ही नाथूराम आरएसएस से जुड़कर उनका सदस्य और कार्यकर्ता बन गया था।
- आरएसएस से जुड़कर गोडसे ने एमएस गोलवलकर के साथ मिलकर काम किया और अखबारों में कई लेख लिखे।
- इसी तरह बाबा राव सावरकर के साथ मिलकर गोडसे ने राष्ट्र मीमांसा नामक किताब का अंग्रेजी में अनुवाद किया था।
- फांसी से एक दिन पहले नाथूराम गोडसे ने अपने छोटे भाई दत्तात्रेय गोडसे को पत्र लिखकर अपनी वसीयत के बारे में बताया
- गोपाल गोडसे ने गांधी, वध और मैं के नाम से एक किताब लिखी और किताब को प्रकाशित भी किया।
- नाथूराम गोडसे ने अपनी वसीयत में लिखा था की मेरी मृत्यु के बाद बीमा के सारे पैसे दत्तात्रेय गोडसे, उनकी पत्नी और उनके दूसरे भाई की पत्नी को दे दिए जाएं। एवं मेरा अंतिम संस्कार दत्तात्रेय गोडसे के द्वारा किया जाएगा।
- गोडसे ने अपनी वसीयत में लिखा की मेरे अंतिम संस्कार के बाद मेरी अस्थियां सिंधु नदी में प्रवाहित कर दीं जाए।
- आज भी पुणे की एक इमारत में गोडसे की अस्थियां संभाल कर रखी गयी हैं।
- नाथूराम आरएसएस के साथ रहकर टेलरिंग का काम सीख गया था और राष्ट्रिय स्वयं सेवकों की वर्दी सिलने का काम किया करता था।
नाथूराम गोडसे से संबंधित प्रश्न एवं उत्तर (FAQs):
गाँधी जी की मृत्यु स्थान का नाम बताइये?
गाँधी जी की मृत्यु दिल्ली के बिड़ला हाउस में हुई थी।
नाथूराम गोडसे को फांसी कब दी गई?
15 नवंबर 1949 को नाथूराम गोडसे और उसके साथी नारायण आप्टे को अम्बाला जेल में फांसी दे दी गई।
नाथूराम गोडसे किस संस्था की विचार धारा से प्रभावित था?
नाथूराम गोडसे RSS राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचारधारा से प्रभावित थे।
गोडसे द्वारा गाँधी हत्या पर लिखी गई किताब का नाम क्या है?
गोडसे द्वारा गाँधी हत्या पर लिखी गई Why I Killed Gandhi है।
गांधी हत्या में शामिल गोडसे के अन्य साथी कौन थे ?
गांधी की हत्या में शामिल गोडसे के अन्य साथियों के नाम इस प्रकार से हैं –
विष्णु करकरे, मदनलाल पाहवा, शंकर किस्तैया, गोपाल गोडसे और दत्ता परचुरे जिनको अदालत के द्वारा उम्र कैद की सजा दी गई।
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