कई बार लोगों को अपनी जमीन से जुड़ी कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यदि कोई व्यक्ति अपनी जमीन की पैमाइश कराना चाहता है तो उसे पटवारी को बुलाना होता है जिसके पास हमारे जमीन के कागजात होते हैं अर्थात भूमि खतौनी होती है इसमें खेतिहर की जमीन से जुड़ी प्रत्येक जानकारी दर्ज होती है। कई बार भूमि पैमाइश करते हुए पटवारी से भी गलतियां हो जाती हैं, और उस व्यक्ति के खेत का क्षेत्रफल कम होता है या फिर भूमि चकबंदी नक़्शे से उसके खेत सम्बंधित विवरण अलग दिखाई देते हैं तो इसके लिए वह राजस्व संहिता 2006 धारा 24 के तहत सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट के न्यायालय में जाकर अपने पक्ष को रख सकता है। आज इस लेख में हम आपको जमीन की पैमाइश (Measurement) कैसे कराएं? क्या है Revenue Code के तहत पूरी प्रक्रिया, जानें से जुड़ी प्रत्येक जानकारी देने जा रहें हैं अतः इस आर्टिकल के लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें और अपनी जमीन की पैमाइश की समस्या को दूर करें।

पैमाइश करने की प्रक्रिया क्या है?
यदि कोई व्यक्ति जमीन की पैमाइश करना चाहता है तो उसको राजस्व संहिता की धारा 24 के अंतर्गत आवेदन निवेदित करना है इसके लिए आपको कुछ जानकारी देनी होगी जिसकी जानकारी हम नीचे देने जा रहें हैं। इन विवरणों में आपको पक्षकारों का नाम, पिता का नाम, एड्रेस तथा अपने ग्राम का नाम, गाटा संख्या एवं उसकी जो सीमाएं हैं आदि जानकारी को सही से लिखना है। इसके अतिरिक्त आपको प्रमाणित प्रति खसरे की प्रमाणित प्रति खतौनी की जो प्रमाणित फोटो कॉपी आदि को संलग्न करना है।
ऑनलाइन पैमाइश कराने के लिए आवेदक को 1 हजार रुपए का चार्ज देना होता है। इस भुगतान की प्रक्रिया को आप नेट बैंकिंग या फिर UPI के माध्यम से भी पूर्ण कर सकते हैं। जैसे ही आपकी भुगतान प्रक्रिया पूर्ण होगी उसके पश्चात SDM न्यायालय में आपका जो आवेदन दिया हुआ होगा वह Recorded हो जाएगा। अंत में पैमाइश की तारीख को राजस्व निरीक्षक द्वारा फिक्स्ड करके सूचना दी जाती है।
जमीन की पैमाइश (Measurement) कैसे कराएं?
जमीन की पैमाइश कराने के लिए आपको सभी डाक्यूमेंट्स एवं एक हजार रुपए ट्रेजरी चालान जो की हर एक गाटा संख्या के लिए जमा करना होगा। अगर गाटा एक दूसरे से जुड़े हो या फिर दो होते हैं या फिर उससे ज्यादा तो इसमें आपको एक हजार रुपए ही देने होते हैं।
खेत की पैमाइश करें
- आवेदन पत्र जमा करने के पश्चात सम्बंधित अधिकारी आपके इस पत्र की जाँच करते हैं।
- जाँच सही होने के पश्चात उप जिलाधिकारी सूचना को जारी करते हैं।
- इसके पश्चात राजस्व अधिकारी द्वारा सीमा निर्धारण अथवा पैमाइश के लिए सूचना दी जाती है।
- अधिकारी द्वारा सीमांकन होने के पश्चात खातेदार को सभी पक्षों को सूचना प्रदान की जाएगी।
- खातेदार यदि उपस्थित नहीं है तो उसके परिवार के किसी बड़े सदस्य को बताया जाएगा।
- ग्राम के प्रधान को जो कि भूमि प्रबंधन समिति के अध्यक्ष हैं उन्हें भी सूचना दी जाएगी।
- आपके पैमाइश कर काम एक महीने के भीतर पूरा हो जाएगा।
- सीमांकन करने के दौरान एक स्पॉट मेमो भी बनाया जाता है। इसमें ग्राम प्रदान, सभी प्रभावित दल एवं गवाहों के साइन लिए जाते हैं।
- अगर कोई पक्ष साइन नहीं करता है तो इस पत्र में लिख दिया जाता है।
- इसके पश्चात पंद्रह दिन में आपकी सीमांकन प्रक्रिया को फील्ड बुक एवं स्पॉट मेमो को उप जिलाधिकारी/एसडीएम को भेजा जाता है।
- अब उप जिलाधिकारी द्वारा सभी प्रभावित पक्षों की सूचना तैयार की जाती है एवं पंद्रह दिन के भीतर आपत्ति दाखिल करने का अवसर दिया जाता है।
- यदि उप जिलाधिकारी को कोई अपवाद मिलता है तो उसका समाधान भी वे ही निकालेंगे एवं यदि कोई अपवाद नहीं मिलता है तो आधिकारिक द्वारा एक तारीख तय की जाएगी जिसमें वे सभी पक्षों की बात सुनेंगे एवं उसके पश्चात अपना परिणाम सुनाएंगे।