इतिहास में हम कई दार्शनिकों के नाम पढ़ते: हैं जो कि विश्व में प्रसिद्ध है और अभी तक इनके बताए हुए नियमों का हम पालन करते है। हम प्लेटो के परम शिष्य अरस्तु की बात कर रहें है यह एक विश्वप्रसिद्ध ग्रीक दार्शनिक थे इन्होंने कई कृतियों की रचनाएं की थी। आपको बता दे इन्हें विश्व में सबसे बड़े विचारक कहा जा है। यदि आप इनके लेखन पढ़ते है तो उसमें आपको प्राकृतिक विज्ञान, सौंदर्यशास्त्र, राजनीति, अर्थशास्त्र, दर्शन, भाषाविज्ञान, कला तथा मनोविज्ञान जैसे विषयों से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी का पता चलता है इनके द्वारा आधुनिक विज्ञान के विकास के लिए एथेंस के लाइसियम में दर्शनशास्त्र के परिव्राजक संप्रदाय के तहत अरस्तुवादी परम्परा को जारी करके इसका आरम्भ किया गया था। यहां हम आपको अरस्तू की जीवनी (Biography of Arastu) से जुड़ी प्रत्येक जानकारी को साझा करने जा रहें हैं, इच्छुक नागरिक लेख की जानकारी को जानने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।
अरस्तू का जीवन परिचय
अरस्तु का जन्म चाल्कीडियन लीग के स्टैगिरा नामक नगर में लगभग 384 ईसा पूर्व हुआ था। इनके पिता का नाम निकोमेकस था जो कि मकदूनिया के राजा के दरबार में वैद्य का कार्य करते थे और एक शाही वैद्य थे तथा माता का नाम फेस्टिस था जो कि एक ग्रहणी थी। बचपन से मकदूनिया के दरबार का बहुत अधिक प्रभाव अरस्तु के जीवन में हुआ था। यह जब छोटे थे तो उसी वक्त इनके पिता की मृत्यु भी हो गई थी जिस कारण इन्हें अपने जीवन में बहुत आघात हुआ।
यह भी देखें- प्लेटो जीवनी – Biography of Plato in Hindi Jivani
नाम | अरस्तू |
जन्म | 384 ईसा पूर्व |
जन्म स्थान | स्टैगिरा, चाल्कीडियन लीग |
युग | प्राचीन यूनानी दर्शन |
राष्ट्रीयता | यूनानी |
पेशा | दार्शनिक एवं वैज्ञानिक |
गुरु | प्लेटो |
मुख्य कृतीयां | काव्यशास्त्र, भौतिकी, ऑर्गेनोन, पोलिटिक्स, निकोमेखियन नीतिशास्त्र तथा वाग्मिताशास्त्र |
मृत्यु | 322 ईसा पूर्व |
मृत्यु स्थान | चल्सिस, यूबोइया, मैकेडियन साम्राज्य, यूनान |
शिष्य | अरिस्टोक्सेनस |
क्षेत्र | पाश्चात्य दर्शन |
पिता का नाम | निकोमेकस |
माता का नाम | फेस्टिस |
शिक्षा
अरस्तु जब 18 साल के थे तो उनके पिता का देहांत हो गया था उसके बाद इनके घर वालों ने इन्हें बौद्धिक शिक्षा केंद्र एथेंस भेज दिया ताकि ये अपनी शिक्षा को पूरी कर सके। वहां जाकर इन्होंने बीस साल तक प्लेटो से शिक्षा ग्रहण की। जब इनकी शिक्षा पूरी होने वाली थी तो ये आकदमी में जाकर पढ़ाने जाते थे। यह एक कुशल एवं होशियार व्यक्ति थे और अपने गुरु के सबसे प्रिय शिष्य थे। इन्होंने द लायिसियम नामक एक संस्था की स्थापना की थी।
यह भी देखें- बीरबल की जीवनी देखें
पिता का प्रभाव
जैसा कि आपने ऊपर पढ़ा होगा कि अरस्तु के पिता के राजवैद्य थे और उनके जीवन का सबसे गहरा प्रभाव इनके पुत्र पर ही पड़ा और इस काम के प्रति अरस्तु का लगाव होने लगा और एक वैज्ञानिक बनने के पीछे इनके पिता का ही प्रभाव दिखाई देता है। इनके पिताजी ने इन्हें जीव विज्ञान से सम्बंधित प्रत्येक जानकारी को बताया है और इनके द्वारा लिखे गए ग्रंथों में यह साफ नज़र आता है वह राज्य की तुलना कई बार व्यक्ति से करते हैं। एक राजवैद्य इनके पिता का ही पेशा नहीं बल्कि इनकी पीढ़ियों से चला आ रहा है।
यह भी देखें- दयानंद सरस्वती के बारे में जानें
विवाह
माइसिया में अरस्तु लगभग तीन वर्ष तक अपना जीवन बिताया, वहां के राजा हर्मियास की एक भतीजी थी जिसका नाम पाइथियस था वह अरस्तु को पसंद आ गई थी। और पाइथियस से उन्होंने विवाह कर लिया। पाइथियस ने एक बेटी को जन्म दिया।
दुर्भाग्यवश यह रिश्ता अधिक साल ना रहा और 355 ईसा पूर्व इनकी पत्नी पाइथियस की मृत्यु हो गई आपको बता दे इसी साल माइसियम को अरस्तु द्वारा खोला गया था। इसका अरस्तु को बहुत दुख और आघात पहुंचा परन्तु कुछ समय बाद उन्हें गृह नगर स्टागिरा की एक दासी से प्रेम हो गया यह कई लोगों द्वारा कहा जाता है कि यह एक दासी थी, इस महिला का नाम हर्पायलिस था। इन दोनों की मुलकात मेसेडोनिया के दरबार में हुई थी। ये भी कहा जाता है कि अरस्तु ने उसे दासी के रूप से आजाद किया उसके बाद इन दोनों ने शादी कर ली। कुछ समय पश्चात इन दोनों का एक बेटा हुआ जिसका नाम इन्होंने निकोमेकस रखा था। निकोमेकस अरस्तु के पिता का नाम था, पहले अपने बच्चों का नाम अपने घर के बड़े लोगों के नाम पर रखा जाता था।
सिकंदर की शिक्षा
मकदूनिया के राजा फिलिप का अरस्तु को बुलावा आया और उन्होंने कहा कि तुन्हें मेरा तेरह साल के बेटे को शिक्षा देनी है जिसे अरस्तु ने अपना कार्य मान कर हाँ कर दिया। अरस्तु एक ज्ञानी थे वो अपना ज्ञान इनके बेटे सिकंदर को प्रदान करते थे। राजा फिलिप और इनके पुत्र सिकंदर इनका प्यार से बहुत आदर करते थे। इस कार्य के लिए उन्हें शाही दरबार से बहुत धन भी प्राप्त हुआ था जो राजा ने उन्हें भेट में प्रदान किया था। ऐसा भी कहा जाता है कि राजा ने उनकी सेवा के लिए कई गुलाम भी रखें थे। राजा फिलिप के बाद जब एलक्जेंडर राजा बने तो तब उन्होंने अरस्तु को कोई महत्व नहीं दिया और उनका कार्य समाप्त कर दिया उसके बाद वे एथेंस लौट कर वापस आ गए। वापस लौटकर इन्होने प्लेटोनिक स्कूल को स्थापित किया तथा प्लेटोवाद का निर्माण किया।
मृत्यु
सिकंदर के निधन के पश्चात अरस्तु सोचने लगे कि उन्हें एथेंस से उनके वापस चले जाना चाहिए क्योंकि यहां उनके लिए खतरा है। इनको पता चल गया कि जैसा हाल यहां रहकर सुकरात का हुआ है वह मेरे साथ भी सकता है। क्योंकि वहां इनपे नास्तिकता का अभियोग लगाया था यह एक पुरोहित का काम था और कहा गया कि ये लोगों को गलत शिक्षा देते है जिससे समाज में विद्रोह रहा है। उनका कहना था कि देवताओं से किसी के लिए प्राथर्ना एवं उनके द्वारा दी गई क़ुरबानी सब बेकार है।
और यह सब जानकर अरस्तु एथेंस छोड़कर चैलिलिस चले गए यह एक द्वीप पर स्थित था। चैलिलिस जाने के बाद अरस्तु को पेट से सम्बंधित बीमारी हो गई जिससे उन्हें बहुत परेशानी होती थी और एक वर्ष के भीतर करीबन 322 ईसा पूर्व में इनका देहांत हो गया।
कृतियां
आपको बता दे अरस्तु ने विभिन प्रकार के ग्रंथों की रचना की थी जिनकी जानकारी हम नीचे निम्न प्रकार से बताने जा रहें है-
- पॉलिटिक्स
- निकोमन्चे एथिक्स
- रहेतोरिक
- यूदेमियन एथिक्स
- ऑन दी यूनिवर्स
- ऑन दी सोल
- पएटिक्स
- फिजिक्स
- ऑन दी हेअवेन्स
- जनरेशन ऑफ़ एनिमल्स
- मूवमेंट ऑफ एनिमल्स
- मेतेरोलोजी
- ऑन जेंराशन एंड करप्शन
- लाइफ एंड डेथ एंड रेसिपिरेशन
- प्रोब्लेम्स
- ऑन ड्रीम्स
- पार्ट्स ऑफ़ एनिमल्स
- ऑन दिविनेशन इन स्लीप
- मेटाफिजिक्स
- ऑन यूथ
- ऑन लेंथ एंड शोर्तनेस ऑफ़ लाइफ
- ओल्ड एज
- सेन्स एंड सेंसिबिलिया
- ऑन मेमोरी
- प्रोग्रेशन ऑफ़ एनिमल्स
Arastu का योगदान
Arastu आज भी महान दार्शनिकों की श्रेणी में आता है इसने ही दर्शनशास्त्र को आधी महत्व दिया एवं नीतिशास्त्र, काव्यशास्त्र, अलंकार शास्त्र एवं राजनीति शास्त्र के प्रति शिक्षा के साथ नवीन दृष्टिकोण को भी विकास प्रदान किया। कई दार्शनिक इनकी बातों का विरोध करते है तो कई इनकी बातों को सही कहते हैं।
- इन्होनें तर्क शास्त्र के नियमों का प्रतिनिधित्व अपने ऑरगेनन ग्रंथ की रचना में किया है।
- इन्होंने रेटोनिक ग्रन्थ की भी रचना की है इसमें अलंकार शास्त्र पर अनुपम कृति से सम्बंधित जानकारी दी हुई है।
अरस्तू की जीवनी से सम्बंधित सवाल/जवाब
अरस्तू का जन्म कब हुआ?
इनका जन्म 384 ईसा पूर्व स्टैगिरा, चाल्कीडियन लीग में हुआ था।
Arastu के माता-पिता का क्या नाम था?
इनकी माता का नाम फेस्टिस तथा पिता का नाम निकोमेकस था।
Arastu के गुरु का नाम क्या था?
इनके गुरु का नाम प्लेटो था।
Arastu की प्रमुख कृतीयां क्या है?
Arastu की प्रमुख कृतीयां है, जैसे- ऑर्गेनोन, मेटाफिजिक्स, काव्यशास्त्र, भौतिकी, वाग्मिताशास्त्र तथा निकोमेखियन नीतिशास्त्र आदि।
अरस्तू की मृत्यु कब हुई?
इनकी मृत्यु लगभग 322 ईसा पूर्व हुई थी।
अरस्तू का प्रिय शिष्य कौन था?
अरिस्टोक्सेनस अरस्तू का प्रिय शिष्य था।
पॉलिटिक्स किसकी रचना है?
पॉलिटिक्स अरस्तु की रचना है।
मकदूनिया में अरस्तु ने किसको शिक्षा दी थी?
मकदूनिया के राजा फिलिप के पुत्र सिकंदर को अरस्तु ने शिक्षा दी थी।
Biography of Arastu in Hindi Jivani से सम्बंधित प्रत्येक जानकारी को हमनें इस आर्टिकल में साझा कर दिया है यदि आपको इस लेख से जुड़ी कोई अन्य जानकारी या प्रश्न पूछना है तो आप नीचे दिए हुए कमेंट बॉक्स में अपना मैसेज लिख सकते है हम कोशिश करेंगे कि आपको प्रश्रों उत्तर जल्द दे पाएं। आशा करते है कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया हो और इससे जुड़ी जानकारी जानने में सहायता मिली हो। इसी तरह के अन्य लेखों की जानकारी के लिए हमारी साइट से ऐसे ही जुड़े रहें।